हर सुकून तुझमें ही बसता !
गली गली भूले है कई रस्ता ! पीठ झुकी कैसा है ये बस्ता ! खाक से सपने देखते हो , नींद रहा अब इतना क्या सस्ता ! देख चेहरे रुखी …
हर सुकून तुझमें ही बसता ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
गली गली भूले है कई रस्ता ! पीठ झुकी कैसा है ये बस्ता ! खाक से सपने देखते हो , नींद रहा अब इतना क्या सस्ता ! देख चेहरे रुखी …
हर सुकून तुझमें ही बसता ! Read Moreआज रात काली काली सी, कुछ रंगीली सवाली सी, अँधेरे में चुपके से बादल, छा गए जैसे वो पागल !! बुँदे दिखी बचपन की पहेली, पैर पटक बच्चों सी खेली, …
कल रात की बारिश – A Rainy Night Read Moreयह चक्रव्यूह था जिसको ना जाना, और राम ने शायद मन में क्या ठाना ! थे संशय में अर्जुन गांडीव धरे, इस चक्रव्यूह में क्यों राम परे ! हर राह …
इस चक्रव्यूह में क्यों राम परे ? Read More