और तभी सुनामी आती है !
है दंभ अब किन बातों का ! आंखे फाड़े काली रातों का ! विकट जो चुप्पी छाती है, और तभी सुनामी आती है ! बौने से जो अब पेड़ खड़े, …
और तभी सुनामी आती है ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
है दंभ अब किन बातों का ! आंखे फाड़े काली रातों का ! विकट जो चुप्पी छाती है, और तभी सुनामी आती है ! बौने से जो अब पेड़ खड़े, …
और तभी सुनामी आती है ! Read Moreपरतों में रखा था छुपा के हमने खमोशी !खोल दी जो थोरी सी हवा उठी किसी ओर से ! थोरी दूर जा के अहसास सा होने लगा !अब कोई लौटने …
उलझा दिया आज फिर सवालों ने ! Read Moreअब कौन डगर मुझे चैन मिले ! किस पथ जाऊ बस रैन मिले ! सूखे रूखे पतझर से, झुकते थकते डाली पर , अब खुशियों की कोई कुसुम खिले ! …
अब कौन डगर मुझे चैन मिले ! Read More