आहट सी हुई …
स्पंदन मात्र भी नहीं था चेहरों पर, विस्मित ना हुए नयन भी थोड़े भी, बड़ी ही क्षणिक अनुभूति सी थी.. जैसे पथराये से आँखों को छु गयी, एक झलक सहलाती …
आहट सी हुई … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
स्पंदन मात्र भी नहीं था चेहरों पर, विस्मित ना हुए नयन भी थोड़े भी, बड़ी ही क्षणिक अनुभूति सी थी.. जैसे पथराये से आँखों को छु गयी, एक झलक सहलाती …
आहट सी हुई … Read Moreजब जब उस राह से गुजरते..कुछ चुप्पी संजीदा सी उभरती थी ..मौज ठहर जाती इन चेहरों से ..वही खुशबू बिखर जाती थी आसपास ! सवाल तो अब खुद खामोश हो …
जब उस राह से गुजरे ! Read Moreनकाबपोश रातें रातों सी जिंदगी .. ना संवरती ना बिखरती ! गम था, पर दिखना था संजीदा, नकाबपोश जो भीड़ में खरे थे ! बिखेरी, थोरी सी एक बनाई हुई …
नकाबपोश रातें..Midnight Solitude Read Moreसाँझ जो पसरी धुँधला सवेरा, घासों की गठरी, वो मैला कुचैला, मटमैली हाथों में एक छोटा सा थैला, लौटते खेतों से,नित की यही बेला ! बैठे ताकों में नभ भी …
एक ख़ामोशी शब्दों पर फैला … Read Moreसीधी सपाट सड़को के किनारे, कुछ खंडर किले सा झलका, नीली रौशनी से भींगा छत उसका, कुछ बरखा ओस ले आयी, हवा सनसन ठंडक भर लायी ! हल्की भींगी ओस …
शीत की रातें – Autumn Back Read Moreये सन्नाटा फिजाओं का, किसी तुफां से कम नहीं ! ये ख़ामोशी ..मेरी खता पर किसी सजा से कम नहीं .. ! धुल सरीखी राहें और रेत के फाहे.. उड़ा …
कम नहीं ! Read More