बाट जोहे सर्द में ठिठुरते है सूने चौपाल ..

आज शाम का अलाव कुछ सुना सा था , न पहले के तरह घेर के उसे बैठा था कोई .. न ही कोई छिरी चर्चा उस अलाव के इर्द गिर्द, …

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दुरी चंद कदमो की, ये कैसा फासला था ! – On Way of Life

दुरी चंद कदमो की, ये कैसा फासला था ! अनजान सिमट कर रह जाता हूँ , ये कैसा आसरा था ! खायालात ख़ामोशी का हाथ थामे चल रहे , कहाँ …

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यादों के पत्ते यूँ बिखरे परे है जमीं पर – Life fade as a Leaf

यादों के पत्ते यूँ बिखरे परे है जमीं पर , अब कोई खरखराहट भी नही है इनमे, शायद ओस की बूंदों ने उनकी आँखों को कुछ नम कर दिया हो …

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