सोशल मीडिया का शोर और में

रात का सन्नाटा ऊँची अट्टालिका को चीर रहा था,
विचलित मन रात को निहार रहा था की तभी,
सोशल मीडिया के शोर ने खीचा लाया मुझे ,
कैसी ये छद्म दुनिया रच डाली है हमने,
रोज एक नए चेहरों की किताब(Facebook)
पर दे देते है एक नया नाम,
श्याम को sam, राम को रीता बनाते,
वाह रे सोशल इंजीनियरिंग. . . . .

अब माँ की लोरी twitter के tweets गा रहा,
यार दोस्तों की दिल की बात orkut सुना रहा,
जो पास है उनकी खबर नही बस खोज रहे रोज एक नई community,
अपनों की खबर नही बस चाह रहे सोशल identity ,
में भी इसी सोशल शोर में खोकर
अपने आप को socialized कह रहा हूँ ……….

रचना : सुजीत कुमार लक्की
 

 

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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3 Comments on “सोशल मीडिया का शोर और में”

  1. There is lot of communication medium today to interact each other but still we are socially disconnected;we spent a virtual tech life…..
    thnx for comments
    – Sujit

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