सब बिखरा सा ..More Than A Poem

Scattered Life Hindi Poem

सब बिखरा सा ..
क्या क्या समेटू इन दो हाथों मे ?

वो परेशां थे..
पर उनकी बड़ी ही चाहत थी,हमे आजमाने की !

खामोश हूँ खरा ..
देख रहा लहरों के उछालों को !

अपने हाथों को दूर ही रखो ..
ठोकरों से गिर कर खुद ही उठूँगा मैं , और तब देखेगा ये आसमां !

रचना : सुजीत कुमार लक्की

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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