वक्त की आपा धापी को सिरहाने नहीं मिलते !

सृजन के शब्दों को सहारे नहीं मिलते !
वक्त की आपा धापी को सिरहाने नहीं मिलते !
कोशिश जब की ख्वाबो को चुराने की,
रातों को नींद के बहाने नही मिलते !
लौट आने की उम्मीद इस तरह थी की ,
इन्तेजार को आँखों के पनाहें नही मिलते !
सुने राहों से जब लौट गयी एक आवाज,
लगा श्याम की बंसी को मधुर ताने नही मिलते !
इस तरह उजरी है कुछ बातें सब ओर !
जैसे वक्त की यादों को कोई तराने नही मिलते !
भागते जा रहे उहापोह जिंदगी की दौर में !
जाना तब शिकन के चेहरे से खजाने नही मिलते !
वक्त की आपा धापी को सिरहाने नहीं मिलते !
शायद भाव की कमी ~ सुजीत

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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2 Comments on “वक्त की आपा धापी को सिरहाने नहीं मिलते !”

  1. कोई तो आकर थाम ले ये हाथ…. अब हर रोज लरख्राने के बहाने नहीं मिलते…!

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