रंग फीका फाल्गुन !

चहुतेरे कूके कोयल,
बहका बहका शिशिर,
महका महका बसंत,
चहका चहका फाल्गुन !

गलीचे में छुपा गम ही गम,
कहना कैसा १०० भी है कम,

[ कुछ आती घर की याद … ! ]

ना रोका ना टोका,
अपनी गली की हवा का झोंका,

ना हुई वो शाम, ना बही वो बयार,
बोझिल मन से कैसे मने ये त्यौहार !

मन में आये वो होली का गाँव,
जब छुट ही गया हर धुप और छांह !

[कुछ मायूस दोस्तों के लिये, अपने घर से दूर .. ! ]

यूँ अब तक हो बैठे, कुछ कर लो जनाब,
फीके चेहरों पर थोरा फेको गुलाल,
गा लो कुछ ऐसा, सा रा रा हो तान,
महको बहको शब जायज़ है आज,
कुछ ऐसी हो मस्ती .. रंग दो परवाज़


सुलभ जी ने तो होली को और रंगीन कर दिया अपने शब्दों में ..
{ तक धिनैया तक धिनैया छूट गईल बिहार
दिल्ली बम्बई के चक्कर में जिनगी बेकार }

Happy Holi To All of My Friends !

# सुजीत भारद्वाज

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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