यारों कभी तो अकेला छोड़ो -Treasured and Cherished

यारों कभी तो अकेला छोड़ो,
थोड़ा हम भी रो ले कभी …

हर मोड मे यूँ मिल जाते हो ,
कैसे माने चले गए थे कहीं .

ख़ामोशी का सबब ले बैठते जब हम..
तो चुपके से गुन गुनाते हो कहीं ..

मायूस से लगते जब कभी हम,
थोड़ा गुदगुदाते हो कहीं ..

कैसे सम्हले हम ठोकरों से ,
खुद ही राहों मे खड़े मिलते हो कहीं ..

शायद मान बैठे गैर सभी ,
अपने का अहसास दिलाते हो कभी ..

अब तक कैसे समझे चले गए !

यारों कभी तो अकेला छोड़ो,
थोड़ा हम भी रो ले कभी …
रचना : सुजीत कुमार लक्की

 

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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