दशहरे की शाम जो आयी ..!

village fair night

दशहरे की शाम जो आयी,
देखा तमस को जलते हुए,
मन में उमंगो को भरते हुए..
वो बचपन …
गाँव की वो सीधी सड़क,
जो मेले के तरफ ले जाती थी,
बच्चों की खुशियों को देखो,
बांसुरी और गुब्बारे संग लौट के आती थी,
चवन्नी अट्ठन्नी में बर्फ के गोले,
और १ रूपये में १० फेरे झूले …
मन चाहे उस बड़े हेलिकॉप्टर को ले ले,
डरता जाता माँ के गुस्से को कैसे झेले !
फिर बेमन से निशाने का खेल जो खेले..
५ में से एक ही गुब्बारे को फ़ोड़े ..
फिर वही सड़क लौट के आयी,
रात जुगनू झींगुर और कच्चे रस्ते,
सब मेरे संग चल झूमती गायी..
दशहरे की शाम जो आयी !
“आज बड़ा हेलिकॉप्टर नही, १ रूपये की बांसुरी खरीदने की ही इच्छा हुई,
पर वो भी नीली रेशम डोरी से लिपटी २५ रूपये की हो गयी…. !
पर अब जाना खुशी १ रूपये गुब्बारे में ही मिलती….. ! “
– सुजीत भारद्वाज

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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