तू भी मेरे ठोकरों पर हँस ले – A Thought

तू भी मेरे ठोकरों पर हँस ले ,
हाथ छोर कर जो चला हु तेरा !
परेशा ना हो  मेरी गिरते सम्हलते कदमो पर ,
कदम जब बढ़ा ही दिया अब चल परेगा ही ये सिलसिला ! !
खवाहिश ही कब की मंजिलो को नापने की ,
बस चला हूँ .. और चलता रहे ये काफिला ! !

रचना : सुजीत कुमार लक्की

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →

5 Comments on “तू भी मेरे ठोकरों पर हँस ले – A Thought”

Comments are closed.