क्षण प्रतिक्षण व्यतीत हो रहा – Life Spending

क्षण प्रतिक्षण व्यतीत हो रहा,
कुछ खोया सा अतीत हो रहा !

कुछ साँसे चल रही नब्ज में,
कुछ धड़कन भी मंद हो रहा !

भीड़ परिदृश्य से भरे अधर में,
किस शोर में अब खड़े हो रहा !

ना दंभ अभिमान रही बातों में,
कंठ स्वर सब निबल हो रहा !

था मन खोया कुछ अधर आस में,
अब सब सपनों से भी परे हो रहा,

सिमटा जीवन अनन्त होड़ में,
क्षण प्रतिक्षण व्यतीत हो रहा,
कुछ खोया सा अतीत हो रहा !

सुजीत (SK)

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →