क्योँ नही बहलाती मुझे माँ !

याद उतनी ही है तेरी इस जेहन में बसी,
जैसे तेरी उँगलियाँ छु चल पड़ा इन राहों में !

और ना तुने रोका, कुछ तो कहा होता..
में इन राहों में चलता गया, कहाँ निकल आया !

अब क्योँ नही बहलाती मुझे माँ !
ना बताती ये रात है, सो जाओ !
क्योँ नही डराती उन झूठे कहानियों से,
कोई काले जादू वाला आता है,
जो उठा के कहीं ले जाता है दूर !

या सोचती, अब में डरता नही रोता नहीँ,
माँ बस पढ़े है मैंने दो शब्द किताबों के !

कहाँ सीख पाया हर गम में मुस्कुराना,
नही आता इस चेहरे में हर बात छुपाना !
पढ़ लेता तेरे चेहरे पर छुपते हुए लकीरों को,
तेरी हँसी में खोते हुए, बीते यादों को !

तेरी गोद में सर झुका लूँ फिर !
अब क्योँ नही ऐसे बहलाती मुझे माँ !


– : सुजीत भारद्वाज

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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