एक साँझ की हलचल – An Evening Swirl

Evening Poem

दो झूले और बच्चे कतार में,
फीकी हरयाली इस छोटे से बाग में !

पेड़ छोटे, इस शहर की रंगचाल में,
दायरा आसमां ने भी समेटा,
लंबी लैम्पपोस्टो की आढ़ में !

ऊँघती बेंचे घासों के बीच,
सोचते कोई छेड़े कोई किस्सा,
इस गुमशुम से हाल में !

सहमे पड़े बरसाती मेंढक,
चहल पहल से है बैठे ठिठके !

झुरमुट संग लिपटे लब्ज सभी के,
इस कृत्रिम जीवन जंजाल में !

हाथ थाम चल लो दो कदम इस साँझ के,
दिल धड़केगे खूब किसी सवाल में !

एक साँझ माँगे एक कोना,
दिवा रात की किसी समयताल में !

हो गयी रात ले चली साँझ को संग,
धीमे कदम से, बढ़ चले हम भी किसी संग की तलाश में !

* Sujit Continued….

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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