एक नाव चलाये कागज़ का ही सही ! – A Rainy Thoughts


ऑफिस के खिड़कियों से यूँ ही बाहर होते झमाझम बारिश को देखर मना झूम उठा और कुछ बचपन की यादें ठहर सी गयी …मन में

सावन लाने को आतुर बरस रही बुँदे एक दूसरे पर ..
चलो आज फिर मिलके एक नाव चलाये कागज़ का ही सही !


रचना : सुजीत कुमार लक्की

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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