उधर का वक्त तनहा !

Time is Alone in Life

ना कोई डाँटता,
ना ही फ़िक्र रहती साँझ से,पहले लौट जाये घर को ..
हाँ लौट आते है,
घिरे घिरे से बड़े बस्ती के लोगो के बीच से..
चुप चाप के दो क्षण,
मुझे अब खूब भाते है ये चार दीवार आमने सामने !
क्योँ बुझी सी रौशनी,
सपने और चैन तो खूब जम के जलाये थे अपने!
बड़ी ही ख़ामोशी उस तरफ,
क्या बताए उधर का वक्त तनहा क्योँ है…
दस्तक क्योँ वहाँ,
सूखे पत्ते बिखरे और जंजीरों से बंद है वहाँ के दरवाजे !
क्या बताए क्योँ उधर का वक्त तनहा !
सुजीत

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →

2 Comments on “उधर का वक्त तनहा !”

Comments are closed.