इस चक्रव्यूह में क्यों राम परे ?

यह चक्रव्यूह था जिसको ना जाना,
और राम ने शायद मन में क्या ठाना !
थे संशय में अर्जुन गांडीव धरे,
इस चक्रव्यूह में क्यों राम परे !
हर राह खरे व्यभिचारी थे,
कहीं द्रोण तो भीष्म भी भारी थे,
आशंकाओं से भरे व्यूह ने,
पांडव को भी भरमाया था ..
इस व्यूह में कूद कर आखिर,
राम ने क्यों भाग्य अजमाया था ?
कहीं धन काला, कहीं मन काला,
इस व्यूह में हर जन काला,
अब कोई तो प्रतिकार करे …
कोई चक्रव्यूह को पार करे …
आओ अभिमन्यु इस व्यूह का तुम संहार करे,
या रंग दे बसंती बन कोई न्याय पर थोड़ा वार करे !
Sujit Kumar (सुजीत भारद्वाज)

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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