अब मुझे इन्तेजार कहाँ ! – A Poem

अब मुझे कोई इन्तेजार कहाँ !
तेरी मायूसी का ऐतबार कहाँ !
यूँ भागे है किस तरफ तब से ,
की अब हमे चैन कहाँ !
पिघल जाये ये दिल आंसुओं  से ,
पर उन्हें रोकने वाले हाथ कहाँ !
क्यों रुक जाये हम जाने से ,
मुझे रोकने वाले वो आवाज कहाँ !
अब मुझे कोई इन्तेजार कहाँ…
 
रचना : सुजीत कुमार लक्की

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →

6 Comments on “अब मुझे इन्तेजार कहाँ ! – A Poem”

  1. ये बात तो ठीक नहीं !!
    प्रतीक्षारत रहिये.
    हिम्मते मरदां ते मददे खुदा.

Comments are closed.