अब तेरी मेरी बनती नही !

सुख, चैन , और छिना मेरा शहर,
और कहते मेरे खुदा तुम मुझसे ..
अब तेरी मेरी बनती नही ! ! (:
छूटे साथी और संग,
बदला बदला हर रंग,
उड़ गयी सब तितलियाँ,
सुने पड़े है बाग मेरे !
सूखे पत्ते की तरह,
सपने जले परे सारे !
परायी गलियों में देखता,
अजनबी चेहरा हर आते जाते !
चुप सा सोचता रह जाता,
वो शाम और सुबह उमंगो वाली !
कैसा ये अगणित बोझ लिये,
बेकल सा लगता मन !
जैसे लगता भटकता सिकंदर,
इस हार की पीड़ा का क्या हल,
कैसे करे सजदा तेरे दर पर,
और क्या माँगे ही तुझसे,
और कहते मेरे खुदा तुम मुझसे ..
अब तेरी मेरी बनती नही !
: सुजीत

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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